कुछ और ज़माना कहता है
कुछ और है ज़िद मेरे दिल की
मैं बात ज़माने की मानु
या बात सुनूँ अपने दिल की...
ये बस्ती है इंसानों की
इंसान मगर ढूंढें न मिला
पत्थर के बुतों से क्या कीजे
फरियाद भला टूटे दिल की
Monday, August 24, 2009
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2 comments:
I'm sorry - WHAT ????
Oh I'm sorry.. forgot to put up a translation for my 'foren' audience ;-)
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